जनकपुर नेपाल सतलोक (Satlok Ashram Nepal) आश्रम इन दिनों आस्था का केंद्र बना हुआ है। जैसा कि सभी को पता है की कबीरपंथियों द्वारा जून माह में परमेश्वर कबीर साहेब प्रकट दिवस बड़े ही हर्ष के साथ मनाया जाता हैं। देश और विदेशों में लाखों गुरू और उनके द्वारा चलाए जा रहे आश्रम हैं परंतु वहां कुछ भी मुफ्त नहीं है। उनका ज्ञान उनका खुद का बनाया है उनके ज्ञान का आधार हमारे धर्म ग्रंथ नहीं है। उनका ज्ञान मनोहारी और जनता को अपनी ओर खींचने वाला अवश्य है परंतु आत्मा के पट खोलने वाला कदापि नहीं है और न ही उसे जानकर परमात्मा को पाया और पहचाना जा सकता है। इस लेख के माध्यम से हम आपको नेपाल देश में बने सतलोक आश्रम जनकपुर और उसमें संचालित सेवाओं के बारे में बताएंगे जिसे जानकर आप स्वतः ही कह उठेंगे ऐसे आश्रम में एक बार अवश्य जा कर देखना चाहिए कि इसमें कितनी सच्चाई है। आइए आपको सतलोक आश्रम जनकपुर 

सतलोक आश्रम जनकपुर नेपाल में ही नहीं सोशल मीडिया के प्रत्येक प्लेटफार्म जैसे फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्वीटर, इंस्टाग्राम आदि पर भी चर्चा का विषय बना हुआ है, क्योंकि यहां पर पुर्ण परमात्मा जिसे गीता जी में परम अक्षर ब्रह्म सच्चिदानंद घन ब्रह्म कहते हैं के मुखारविंद से बोली गई अमृतवाणियों, तथा सर्व धर्म के पवित्र सभी ग्रंथों से प्रमाणित सत्य आध्यात्मिक ज्ञान का सत्संग होता है। जिसे परमेश्वर ने स्वयं सतलोक से पृथ्वी पर आकर बोली थी।

यहां पुर्ण परमेश्वर कबीर प्रकट दिवस (कबीर जयंती), कबीर परमेश्वर निर्वाण दिवस, संत गरीबदास जी महाराज जी का बोध दिवस और संत रामपाल जी महाराज जी के अवतरण दिवस के अवसर पर तीन दिवसीय विशाल संत समागम का आयोजन होता है इन तीन दिवसीय कार्यक्रम को कबीर पंथी भक्तजन बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। तीनों ही दिनों तक इस दिव्य समागम में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं के कानों में संतो की अमर वाणी की गूंज सुनाई पड़ती हैं। तीनों दिनों तक चौबीसों घंटे दिव्य मोहन भोजन श्रद्धालुओं को करवाया जाता हैं। जिसमें संपूर्ण विश्व के लोगों को आमंत्रित किया जाता हैं। यहां तीनों दिनों तक बड़ी संख्या में भंडारा प्रसाद लेने हेतु लोगों की भीड़ देखने को मिलीती हैं।

चिड़ी चोंच भर ले गई, नदी न घट्यो नीर ।

दान दिए धन घटै नहीं, यों कह रहे साहिब कबीर।।

अर्थात: जैसे चिड़िया का नदी में से पानी पी जाने से जल नहीं घटता, ठीक इसी प्रकार दान धर्म करने से धन नहीं घटता, यही कारण है कि सतलोक आश्रम जनकपुर नेपाल में चाहे कितने भी श्रद्धालु हर रोज़ भोजन कर जाएं किंतु यहां का भंडारा कभी खत्म नहीं होता है।

कबीर साहेब प्रकट दिवस 2023

भारत के पड़ोसी देश नेपाल में भी कबीर परमेश्वर का प्रकट दिवस मनाया जा रहा है। जोकि सतलोक आश्रम धनुषा, नेपाल में मनाया जाएगा। जहां पूरे नेपाल राष्ट्र के श्रद्धालु इस विशाल समागम में हिस्सा लेंगे। नेपाल राष्ट्र से इस विशाल समागम की ताजा अपडेट पाने के लिए क्लिक करें

सतलोक आश्रम जनकपुर नेपाल का पूरा पता क्या है?

स्थान : सतलोक आश्रम धनुषा मिथिला नगरपालिका-2, बेलाचापी ( महेंद्रनगर पुल नजदीक ), जिला धनुषा (नेपाल)

सतलोक आश्रम जनकपुर नेपाल की बनावट कैसी है?

लोहे और स्टील की अच्छी गुणवत्ता का प्रयोग करते हुए, बहुत ही आकर्षक तरीके से वहां के सेवादारों द्वारा आश्रम का निर्माण किया गया है। आश्रम की बनावट मज़बूत लोहे के पिलर द्वारा की गई है। आश्रम की छत बहुत ही मज़बूत क्वालिटी की चादर टिन से बनाई गई हैं । टिन पर बहुत बड़े बड़े एग्जा़ज पंखे हैं जो आश्रम को वातानुकूलित रखते हैं। अंदर सिलिंग सिल्वर लाइनिंग फाइल वाली है जो अंदर गर्मी के प्रभाव को कम करती है। उपर सिलिंग पर हर थोड़े सेंटीमीटर की दूरी पर छत वाले पंखे तथा नीचे गर्मी से बचाव के लिए पच्चीस से तीस कूलर रखे हुए हैं। जिससे विश्राम करने वाले श्रद्धालुओं को ठंडी हवा आराम के दौरान मिलती रहे।

आश्रम इतना मजबूत बना है कि किसी भी प्रकार की आंधी, तूफान, वर्षा, ओले इत्यादि से इसे किसी भी प्रकार का कोई भी नुकसान नहीं पहुंच सकता। वैसे तो संपूर्ण जगत की रक्षा करने वाले कबीर परमेश्वर जी स्वयं ही हैं। आश्रम के ऊपर श्वेत रंग का सत साहिब लिखा हुआ झंडा 24 घंटे हवा में लहराता रहता है। यह देखने में बड़ा ही सादगी भरा और उत्साहित करने वाला लगता है, इस आश्रम की कीर्ति चारों और फैल चुकी है जिस कारण यहां पर होने वाले सत्संग समागमों में आसपास के श्रद्धालु आते रहते हैं और परम अक्षर ब्रह्म कबीर परमेश्वर जी  द्वारा बोली गई अमृतवाणियों को सुनकर, मनुष्य जीवन के मूल उद्देश्य को पहचान कर, मोक्ष प्राप्ति के लिए प्रयासरत रहते हैं।

सतलोक आश्रम जनकपुर नेपाल का खुलने और बंद होने का समय क्या है?

मुंडका जनकपुर नेपाल, 24 घंटे खुला रहता है, यहां ना ही कोई छुट्टी होती है और ना ही कभी आश्रम बंद रहता है। कोरोनाकाल के दौरान जो सरकार ने गाइडलाइन और नियम जारी किए थे वो आज भी इस आश्रम द्वारा पालन किए जाते हैं। और जब से यह आश्रम शुरू हुआ है तब से लेकर आज तक 24 घंटे आश्रम खुला ही रहता है, कभी भी कोई पुण्य आत्मा आश्रम में आ जा सकती है। यहां आने और रहने वाले सभी भगतजन सरकार द्वारा तय सभी स्वच्छता से संबंधित गाइडलाइंस का कड़ाई से पालन करते हैं। और इस आश्रम में साफ सफ़ाई पर विशेष ध्यान दिया जाता हैं। ताकि श्रुधालूओ को घूमने फिरने में अच्छा महसूस हो।

सतलोक आश्रम जनकपुर नेपाल में वाहन पार्किंग की व्यवस्था कैसी है?

आश्रम में अकसर श्रद्धालुओं का आनाजाना मोटर बाइक्स, स्कूटर और कार तथा बसों के माध्यम से लगा ही रहता है, इसीलिए आश्रम की तरफ़ से वाहनों की पार्किंग के लिए निशुल्क व्यवस्था की जाती हैं। जहां पर भगतजन अपने वाहनों को आसानी से पार्क कर सकते हैं, वहां के सेवादार प्रत्येक गाड़ी को पार्क कराने में मदद करते हैं। ओर वाहनों की देख – रेख के लिए आश्रम की ही तरफ़ से सेवादारों की सेवाएं लगाई जाती हैं जो निश्वार्थ भाव से परमात्मा की सेवा हेतु हमेशा तैयार रहते हैं। कुल मिलाकर जनकपुर आश्रम में श्रुधालुओं के वाहनो की पार्किंग के लिए बहुत अच्छी व्यवस्था की जाती हैं।

सतलोक आश्रम जनकपुर नेपाल के प्रवेश द्वार पर होती है चैकिंग

वाहन पार्किंग के बाद आश्रम में दाखिल होने के लिए जब हम आश्रम के मुख्य द्वार पर पहुंच जाते हैं और आश्रम में प्रवेश करते हैं तो प्रवेश द्वार पर हमें कुछ सेवादार भक्त और सेवादार माईयां बैठे और खड़े नजर आते हैं उनका कार्य है, दूर दराज से आए हुए भक्तों के सामान और उनकी तालाशी लेना ताकि संदिग्ध और संदेह वाला सामान आश्रम में जाने न पाए। यह तलाशी मैटल डिटेक्टर से और व्यक्तिगत रूप से भी हो सकती है।

सतलोक आश्रम जनकपुर नेपाल में नशीली वस्तुएं ले जाना प्रतिबंधित है?

किसी भी सतलोक आश्रम में किसी भी प्रकार की नशे की वस्तुएं ले जाना पूर्ण रूप से प्रतिबंधित होता है। ठीक इसी प्रकार सतलोक आश्रम जनकपुर नेपाल में भी सभी प्रकार की नशीली वस्तुएं जैसे कि बीड़ी, तंबाकू, शराब, सिगरेट, हुक्का, गांजा इत्यादि लाना पूर्णतया प्रतिबंधित है। जैसा कि हम जानते हैं कि समाज में इन चीजों का प्रयोग करने वाले लोग बहुसंख्या में है। किंतु वे जब सत्संग सुनने के लिए सतलोक आश्रम जनकपुर जाते हैं तो उन्हें इन सभी गंदी चीजों को आश्रम के एंट्री गेट पर ही डस्टबिन में डाल देना होता है।

सतलोक आश्रम में श्रृद्धालुओ के लिए जूता घर की उचित व्यवस्था 

जैसे ही हम आश्रम में अंदर प्रवेश करते हैं वहां पर सबसे पहले एक जूता घर बना हुआ है, जो 24 घंटे खुला रहता है, हजारों भक्तों के जूते चप्पलों को यहां नंबर सिस्टम के आधार पर सुरक्षित और व्यवस्थित तरीके से रखने के पुरा इंतजाम आश्रम की तरफ़ से होता है, जूता घर में कम से कम 1 लाख श्रृद्धालुओ के जूते एक बार में रखे जा सकते है। जब आप अपने जूते- चप्पल जूता घर में जमा करते हैं तो आपको एक कूपन दिया जाता है ताकि जब आप आश्रम से अपने घर लौटना चाहें तो आपको आपके जूते सुरक्षित लौटाए जा सकें। सेवादार आपके जूतो को एक थैले में रख कर नंबरों के आधार पर एक खूंटी पर टांग देते हैं। यहां पर जूते चप्पल रखने के लिए कोई पैसे नही लिए जाते यहां सेवादार अपना कर्तव्य समझकर इन सेवाओं को भगवान की रजा समझकर करता है।

सतलोक आश्रम जनकपुर नेपाल में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था है

दूर दराज से आए श्रृद्धालुओ के लिए पानी पीने हेतु शुद्ध पेयजल की कई टोटियां लगाई गई हैं और साबुनदानियों में साबुन रखे रहते हैं ताकि भगतजन मुंह हाथ धोकर और ठंडा पानी पी सकें और साथ ही में ठंडे पानी की मशीन भी लगी हुई हैं ताकि इस कढ़ी धूप में ठंडा पानी पी सकें और पानी की बोतलें भी भर सकें। आश्रम में पीने के पानी की फिल्टर मशीन भी है। यहां पर सीज़न के अनुसार ठंडा-गरम पानी पीने के लिए 24 घंटे उपलब्ध रहता है, हाथ धोने के लिए साबुन इत्यादि सभी सुविधाएं निशुल्क प्रदान की जाती हैं। आश्रम के एक छोर पर नहाने, टॉयलेट, कपड़े धोने और सुखाने की निशुल्क व्यवस्था है जिसके बारे में आगे आपको विस्तार से बताएंगे। 

सतलोक आश्रम जनकपुर नेपाल भी है ईमानदारी की मिसाल

जो भी लोग सत्संग पाठ प्रकाश इत्यादि आयोजनों में सत्संग श्रवण करने आते हैं उनके सामान के रखने की पूरी व्यवस्था है, ईमानदारी की मिसाल बने इस आश्रम में कई बार ऐसा हुआ है कि सत्संग श्रवण करने आए लोगों के मोबाइल या पैसे गिर गए या छूट गए तो तुरंत एनाउंसमेंट के माध्यम से, उपयुक्त व्यक्ति के सामान को उसे सुरक्षित लौटा दिया जाता है। जिस कारण श्रद्धालु निश्चिंत होकर सत्संग श्रवण करते हैं।

सतलोक आश्रम जनकपुर नेपाल में भक्तों के लिए पंडाल व्यवस्था

तत्वदर्शी ज्ञानियों अर्थात संतों द्वारा कहा गया है कि ज्ञान यज्ञ बहुत अच्छा होता है, इसलिए सभी भक्तों के लिए सत्संग श्रवण के हेतु एक बड़ा सा पंडाल है जहां हजारों की संख्या में भक्त आत्माएं प्रोजेक्टर पर देखकर सत्संग सुनते हैं।

सत्संग पाठ प्रकाश में आने वाली माताओं बहनों और भगत भाईयों के लिए पंडाल में अलग अलग बैठने की जगह है। दाईं ओर भगत बैठकर सत्संग सुनते हैं और बाईं और माताएं व बहनें ताकि किसी भी तरह की बेअदबी न होने पाए।

हिंदुस्तान के इतिहास में बहन मीराबाई, बहन कमाली, बहन सीता, बहन मंदोदरी, बहन गनिका, जैसी अन्य भी कई ऐसी माताएं बहनें हुई हैं जिन्होंने सत्संग श्रवण करके अपने जीवन के लक्ष्य को समझा, सत्य को पहचान कर, अपने जीवन में अभूतपूर्व बदलाव किया, इतना ही नहीं उन्होंने भक्ति करके अपना उद्धार करवाया, अपने कुल खानदान का नाम रोशन किया, और हमेशा हमेशा के लिए अमर लोक (सनातन धाम) की प्राप्ति की। 

गणिका (वेश्या) जैसी बहन ने सत्संग सुनने के बाद अपने जीवन में बदलाव किया, अपनी बुराई त्याग कर, अपना जीवन सत भक्ति और अपने उद्धार अर्थात मोक्ष प्राप्ति में लगा दिया। जब तक यह संसार रहेगा तब तक मीराबाई जैसी बहनों के नाम याद किए जाएंगे उनकी गाथाएं गाई जाएंगी, समाज में उनको विशेष आदर दिया जाएगा। मीराबाई के गुरु जी संत रविदास जी महाराज जी भी हमेशा आदर की दृष्टि से देखे जाएंगे। जो पूर्ण परमेश्वर कबीर साहिब जी के शिष्य थे।

तीरथ गए सो एक फल, संत मिले फल चार ।

सतगुरु मिले अनेक फल, कहे कबीर विचार ।।

भावार्थ: तीर्थ करने से एक पुण्य मिलता है, लेकिन संतों की संगति से चार पुण्य मिलते हैं और सच्चे गुरु के पा लेने से जीवन में अनेक पुण्य मिल जाते हैं।

कबीर, बलिहारी गुरू आपणा, घड़ी घड़ी सौ सौ बार।

मानुष से देवता किया, करत ना लाई वार।।

अर्थात: उस सतगुरु की सौ सौ शुक्र मनाओ, जिसने हमें मनुष्य से देवता बनाने में तनिक भी देर न लगाई।

संत मिलन को चालिए, तज माया अभिमान ।

ज्यों ज्यों पग आगे धरे, त्यों त्यों यज्ञ समान।।

अर्थात: परम संत से मिलने के लिए हमें अपने पद और वैभव को त्याग कर विनम्रता से, दिन में कई कई बार जाना चाहिए, क्योंकि इस प्रकार जाने से वह एक कदम, एक यज्ञ का पुण्य फल देते हैं।

सतलोक आश्रम जनकपुर नेपाल में भक्तों के लिए दंडवत प्रणाम स्थल 

आश्रम में प्रवेश करने के बाद, बाईं ओर को कई ज्योतियां चौबीस घंटे एक शीशे के बक्से में प्रज्वलित रहती हैं । उसके ठीक सामने बहुत ही बड़ा और बहुत ही खूबसूरत दंडवत प्रणाम स्थल है, जहां पर पूर्ण परमेश्वर कबीर साहिब जी, गरीबदास जी महाराज जी, संत रामपाल जी महाराज जी के बड़े बड़े फोटो लगे हुए हैं, जहां पर श्रद्धालु, पूर्ण परमेश्वर कबीर साहिब जी को दंडवत प्रणाम (श्रीमद भगवत गीता अध्याय 4 श्लोक 34 में तत्वदर्शी संत को दंडवत प्रणाम करने का प्रावधान है) करते हैं, भगतजन यज्ञ में से महत्वपूर्ण, प्रणाम यज्ञ का लाभ प्राप्त करते हैं, तत्पश्चात अपने यथा स्थान पर जाकर सत्संग श्रवण करते हैं।

गुरु को कीजिए दंडवत कोटि कोटि प्रणाम ।

कीट न जाने भृंग कौ गुरु करले आप समान ।।

सतलोक आश्रम जनकपुर नेपाल में मोबाइल चार्जिंग की भी सुविधा है

सतलोक आश्रम जनकपुर नेपाल में पुण्य आत्माएं काफी दूर-दूर से सत्संग सुनने आते हैं स्वभाविक है कि उनके मोबाइल की बैटरी कम या खत्म भी हो सकती हैं इसलिए आश्रम में मोबाइल चार्जिंग की पूरी व्यवस्था की गई है । ताकि किसी को भी मोबाइल से संबंधित किसी भी प्रकार की असुविधा ना हो। मोबाइल चार्जिंग प्वाइंट पर इस प्रकार व्यवस्था की गई है कि एक साथ तकरीबन चार सो से पांच सो मोबाइल चार्ज किए जा सकते हैं यदि मोबाइल का चार्जर उनके पास है तो अच्छी बात है वर्ना सेवादार वहां उपलब्ध मोबाइल फोन के चार्जर (सेम कंपनी के चार्जर) से फोन को चार्ज करके देते हैं।

जब मोबाइल चार्ज करने के लिए देते हैं तो सेवादार फोन देने वाले के फोन पर एक छोटी सी स्लिप जिस पर उनका नाम और जगह का नाम और स्लिप नं लिखकर फोन जमा करने वाले को देते हैं और सेवादार अपने रजिस्टर में भी फोन चार्जिंग के लिए देने वाले की जानकारी लिख लेते हैं जिससे कि चार्ज करने के लिए फोन जमा करने वाले की पहचान आसानी से हो जाए और देते समय असुविधा भी न हो।

सतलोक आश्रम जनकपुर नेपाल में पुस्तकालय भी है

पहले केवल पंडित-ब्राह्मण और कुछ गुरू शिक्षित हुआ करते थे और वह लोगों को जो भी गलत व मनगढंत ज्ञान बताते थे लोग मान लिया करते थे क्योंकि वह अशिक्षित थे किंतु आज समाज शिक्षित है अपने सदग्रंथों को स्वयं पढ़ सकता हैं और सदग्रंथों में लिखी सच्चाई जानकर अपने जीवन का कल्याण करवा सकता हैं, पूर्ण मोक्ष प्राप्ति करके, जन्म मृत्यु के चक्कर से हमेशा के लिए मुक्ति पा सकता हैं।  

पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय,

ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।

अर्थात्:- बड़ी बड़ी पुस्तकें पढ़ कर संसार में कितने ही लोग मृत्यु के द्वार पहुँच गए, पर सभी विद्वान न हो सके। परमेश्वर कबीर जी कहते हैं कि यदि कोई प्रेम या प्यार के केवल ढाई अक्षर ही अच्छी तरह पढ़ ले, अर्थात प्यार का वास्तविक रूप पहचान ले तो वही सच्चा ज्ञानी होगा

जनकपुर आश्रम में एक पुस्तकालय भी है, जहां पर हमें पवित्र श्रीमद्भगवद्गीता, पवित्र चारों वेद, पवित्र कुरान शरीफ, पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब, पवित्र बाइबल से प्रमाणित आध्यात्मिक ज्ञान की पुस्तकें ‘ज्ञान गंगा‘, ‘जीने की राह‘, ‘अंधश्रद्धा भक्ति खतरा ए जान‘ व और भी अन्य अनेकों पुस्तकें मिलती हैं। साथ ही जाप करने वाली माला, काउंटर, पोस्टर, इलैक्ट्रोनिक फोटो, मोबाइल चिप सभी बिल्कुल कम से कम कीमत पर मिलते हैं। इस स्टॉल का उद्देश्य मनुष्यों में आध्यात्मिक पुस्तकें पढ़ने की इच्छा जगाना है और संपूर्ण आध्यात्मिक ज्ञान से अवगत कराना है, जो आजतक हमे किसी भी गुरुओं ने नही बताया था। यहां परमेश्वर कबीर जी कहते हैं –

नौ मन सूत उलझिया, ऋषि रहे झख मार ।

सतगुरू ऐसा सुलझा दे उलझे ना दूजी बार ।।

कबीर परमेश्वर जी हमें समझाते हुए बताते हैं कि सीधा सा ज्ञान नकली संतों ने बुरी तरह उलझा दिया है, किंतु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ने पूरी तरह उसे समझा कर पवित्र पुस्तक “ज्ञान गंगा” में लिख दिया है अब यह दोबारा नहीं उलझ सकता अर्थात इस पुस्तक को पढ़कर हम ज्ञान ग्रहन कर, मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं।

सतलोक आश्रम जनकपुर नेपाल में शुद्ध देसी घी से भंडारा तैयार होता है

बड़े ही आश्चर्य की बात है कि एक तरफ जहां महंगाई बेलगाम हो गई हैं, वहीं सतलोक आश्रम मुंडका में हमेशा से ही भोजन तैयार करने के लिए शुद्ध देसी घी का प्रयोग किया जाता है, जब से आश्रम शुरू हुआ है तब से लेकर आज तक सिर्फ और सिर्फ शुद्ध देसी घी से ही सभी व्यंजन व पकवान बनाए जाते हैं चाहे कितनी भी संगत आए चाहे कितना भी बड़ा सत्संग समारोह क्यों न हो, बूंदी राम, लड्डू, जलेबी, सब्जी राम, हलवा राम, पूरी राम या फिर रोटी पर घी लगाना हो इसमें सिर्फ और सिर्फ शुद्ध देसी घी का ही प्रयोग होता है। आश्रम में तैयार भंडारे का भोग सबसे पहले पूर्ण ब्रह्म परमेश्वर को लगाया जाता है जिसके बाद यह केवल भोजन नहीं रह जाता यह प्रसाद बन जाता है। और यही प्रसाद भक्तो में वितरित किया जाता हैं । जिसे प्राप्त करने से हमारे पापों का नाश हो जाता हैं।

गीता जी के श्लोक 3 अध्याय 13 में भी कहा है कि:-

यज्ञशिष्टाशिनः सन्तो मुच्यन्ते सर्वकिल्बिषैः ।

भुज्यते ते त्वघं पापा ये पचन्त्यात्मकारणात् ॥

आध्यात्मिक मनोवत्ति वाले जो भक्त पहले यज्ञ में अर्पित करने के पश्चात भोजन ग्रहण करते हैं, वे सभी प्रकार के पापों से मुक्त हो जाते हैं किन्तु जो अपनी इन्द्रिय तृप्ति के लिए भोजन बनाते हैं, वे वास्तव में पाप अर्जित करते हैं।

सतलोक आश्रम जनकपुर नेपाल भंडारा स्थल कैसा है?

भंडारा घर में भंडारा लेने जानें वाले भक्तो के लिए बाहर धूले हुए और साफ बर्तन रखने की बहुत बड़ी ट्रोली लगी होती है जिसमें से भंडारा करने के लिए भगतजन साफ थाली चम्मच कटोरी गिलास लेते हैं। यहां से शुरू होता है एक विशाल भंडार गृह जिसमें भगत भाई व बहन अलग अलग लाइनों में मैट पर बैठ जाते हैं और भगत सेवादार उन्हें बारी बारी से फुलका राम, सब्जी राम, प्याज़, अचार, नमक, पानी, लस्सी सभी बड़े ही प्रेम भाव से परोसते हैं।

भंडार घर में आटा गूंथने की मशीन के साथ साथ, रोटियां बनाने के लिए बड़ी मशीन लगी हुई है, बस मशीन में गूथा हुआ आटा डालने की देर है, देखते ही देखते हजारों रोटियां गोलाकार साइज़ और अच्छे से पकी हुई तैयार होकर बाहर आ जाती है, बाहर आते ही भगत उन रोटियों को टोकरी/थाल में इकट्ठा करके उन पर शुद्ध देसी घी लगाते जाते हैं और कुछ रोटियों को बिना घी लगाए अलग से रख लिया जाता है ताकि बीमार या वृद्ध जिन्हें घी से परहेज़ है उन्हें बिना घी की रोटी खाने को दी जाए। रोटी स्टोर करने के लिए भंडार घर में बड़े बड़े रोटी स्टोरिंग बॉक्स हैं। भंडार घर में बड़ी बड़ी शुद्ध पानी की दो टंकिया भी हैं। 

यहा कच्ची सब्जियां रोज़ आती है। चीनी, पत्ती, घी, चावल व अन्य मसालों का भी स्टाक आश्रम में रखा जाता है। भंडार घर में ही तीनों समय भगतों द्वारा सब्जियों को छीला, काटा, धोया और बनाया जाता है। कम संगत आने पर बड़े बड़े तवों पर बहनों द्वारा रोटी बनाई जाती है। आम दिनों में संगत का आना जाना समागम की तुलना में कम होने के कारण रोटी मशीन उपयोग में नहीं लाई जाती। भंडार घर पर्याप्त रुप से खुला, हवादार और प्राकृतिक रोशनी से भरपूर है। अधिक संगत आने की स्थिति में भंडार घर के साथ खाली पड़े ग्राउंड में भंडारे की सुसज्जित और सुचारू व्यवस्था की जाती है। चारों ओर टेंट लगाकर ग्राउंड को कवर कर दिया जाता है और बड़े बड़े पंखे लगाए जाते हैं। भक्तों द्वारा बनाए गए भोजन को प्राप्त करके भक्त आनंदित और प्रफुल्लित होते हैं।

सतलोक आश्रम जनकपुर नेपाल में गरमा गरम चाय की व्यवस्था

पानी के बाद चाय सबसे बड़ा पेय पदार्थ है, वैसे तो चाय पीने वाले लोग गर्मी में भी चाय पीते हैं किंतु सर्दी में अगर गरमा गरम चाय मिल जाए तो फिर बात ही क्या। सतलोक आश्रम मुंडका में 24 घंटे चाय की टंकियां भरी रहती हैं अपनी मनमर्जी से कितनी भी चाय पियो कोई रोक-टोक नहीं है और तो और इसके लिए  किसी भी प्रकार का कोई भी शुल्क नहीं लिया जाता, सभी व्यवस्था पूरी तरह फ्री है, भंडार घर में ही एक तरफ चाय बड़े बड़े पतीलों में बनाई जाती है। चाय दो प्रकार की बनाई जाती है एक चीनी वाली और एक फीकी। चाय बनाकर उन्हें फिल्टर में डालकर रख दिया जाता है। संगत ज्यादा होने पर चाय देने के लिए सेवादारों की सेवा लगाई जाती है जो कप में चाय भरकर भगतों को देते हैं ।

सतलोक आश्रम जनकपुर नेपाल में ज्योति यज्ञ स्थल

ज्योति यज्ञ भक्ति साधना का एक अभिन्न हिस्सा है, जनकपुर आश्रम में देसी घी की कई ज्योतियां हमेशा प्रज्वलित रहती हैं, जिससे भक्तजनों को ज्योति यज्ञ का लाभ प्राप्त होता है तथा आसपास फैली नकारात्मक ऊर्जा भी क्षीण होती है और वायुमंडल साफ होता है। प्रकृति में मधुरता और प्रेमरससता फैलती है, जिससे प्रकृति दोबारा से जीवंत हो उठती है।

सतलोक आश्रम जनकपुर नेपाल का नाम दीक्षा केंद्र और शंका समाधान स्थल

जनकपुर आश्रम में काफी दूर राज्यों से भी श्रद्धालु सत्संग सुनने के लिए आते हैं, कभी-कभी जब विशेष सत्संग समारोह होते हैं तब भी भारी संख्या में लोग आते हैं, जब वे शास्त्र प्रमाणित ज्ञान देखते, सुनते और समझते हैं तो गुरु बनाने की सनातन परंपरा की ओर ध्यान देते हैं। सत्य आध्यात्मिक ज्ञान समझने के बाद वह तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेना चाहते हैं इस जरूरत को देखते हुए जनकपुर आश्रम में एक नाम दान केंद्र भी बनाया गया। जहां नए भक्तों को दीक्षित किया जाता है। यहीं पर नए भगतजनों की परमात्मा प्राप्ति से जुड़ी सभी शंकाओं का समाधान करने के लिए सेवादार सदा उपस्थित रहते हैं।

नाम दीक्षा लेने वाले भक्तों को सभी नियम नाम लेने से पहले बताए और समझाए जाते हैं उन्हें बीड़ी, तंबाकू, शराब, सिगरेट और शास्त्र विरुद्ध साधना को छोड़ने को कहा जाता है, इन सभी बुराइयों को छोड़ना आवश्यक भी है तभी हम परमात्मा को प्राप्त कर सकते हैं। तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी नाम दीक्षा देते समय कोई भी दक्षिणा या किसी भी प्रकार का पैसा नहीं लेते, यह सब व्यवस्था मानव कल्याण के लिए निशुल्क की जा रही है। 

सतलोक आश्रम जनकपुर नेपाल में सीसीटीवी और अनाउंसमेंट स्थल भी है

नामदीक्षा केंद्र के बाहर एक सीसीटीवी और अनाउंसमेंट स्थल भी है जहां से आश्रम के अंदर और बाहर की हर गतिविधि पर पैनी नज़र रखी जाती है और किसी का सामान खो जाने पर या मिलने पर या आश्रम में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए भी समय समय पर अनाउंसमेंट की जाती है और यहीं से आश्रम में तीनों समय की आरती ऊंचे स्वर में चलाई जाती है। परमात्मा की वाणी का प्रभाव पूरे वायुमंडल पर पड़ता है जिससे नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं।

जनकपुर सतलोक आश्रम में दंडवत प्रणाम स्थल

गीता जी के चौथे अध्याय के 34वें श्लोक में गीता ज्ञान देने वाला प्रभू कहता है कि है अर्जुन तू ‘तत्वदर्शी महापुरुष की शरण में जाकर दंडवत प्रणाम कर निष्कपट भाव से तत्वज्ञान के बारे में पूछना, जिससे वह तत्वदर्शी संत प्रसन्न होकर तुझे वह तत्वज्ञान का बोध कराएंगे।’

दूर दराज से आए श्रद्धालु दंडवत प्रणाम करके सामने पंडाल की शुरुआत में ही एक बड़ा सा प्रोजेक्टर लगाया गया है जिस पर शाम के समय टेलीविजन पर आने वाला सत्संग चलाया जाता है जिसे आश्रम में मौजूद सभी भाई बहन बड़े ही ध्यान से सुनते और देखते हैं और विशेष मौकों पर जैसे कबीर प्रकट दिवस ,कबीर जयंती तथा अन्य आयोजनो पर भी प्रोजेक्टर पर संत रामपाल जी महाराज के सत्संग चलाए जाते हैं। यहां कबीर साहेब जी कहते हैं:

सत्संग की आधी घड़ी, तप के वर्ष हजार।

तो भी बराबर है नहीं, कहे कबीर विचार।।

सतलोक आश्रम जनकपुर नेपाल में टॉयलेट्स और बाथरूम व्यवस्था

आश्रम में आने वाले भगतों की सहूलियत के लिए टॉयलेट और बाथरूम बनाए गए हैं । दाईं और भक्तों के लिए बाथरूम है और उसके बाईं तरह बहनों और माताओं के लिए अलग से बाथरूमों की व्यवस्था है।  स्नान घर में नहाने के लिए साबुन, कपड़े धोने वाला सर्फ, सरसों का तेल हमेशा रखे रहते हैं जिसका किसी भी प्रकार का कोई भी शुल्क नहीं लिया जाता।

कितनी भी संगत आ जाए सेवादार बाथरूमों और टायलेट को हमेशा साफ रखते हैं। यहां किसी को भी किसी भी प्रकार की असुविधा नहीं होती। पानी की टंकियों को समय-समय पर साफ किया जाता है, पानी की पूरी व्यवस्था रहती है। पानी स्टोर करने के लिए बड़ी बड़ी टंकियां हैं। कपड़े सुखाने के लिए रस्सियां लगाई गई है। यह सब सुविधाएं बिल्कुल फ्री हैं। सतलोक आश्रम जनकपुर नेपाल में पानी गरम करने के लिए बॉयलर की व्यवस्था भी है। विशेषकर सर्दियों में, सतलोक आश्रम जनकपुर नेपाल में नहाने धोने और बर्तन साफ करने के लिए गर्म पानी की सुविधा मिलती है।

सतलोक आश्रम जनकपुर नेपाल में मैट स्टोर रूम

जो भी भक्तजन सत्संग सुनने आते हैं उन सब के लिए साफ-सुथरी मैंटें बिछाई जाती हैं। समय-समय पर उनको साफ किया और धोया जाता है, भक्तजनों को स्वच्छ माहौल प्रदान किया जाता है, पाठ प्रकाश या बड़े आयोजनों के बाद उन सभी मैटों को स्वच्छ करके व्यवस्थित तरीके से मैटस स्टोर रूम में रख लिया जाता है। यह सभी मैट इतनी मात्रा में हमेशा रहती है कि कितनी भी संगत आ जाए कभी मैटों की कमी नहीं पड़ती है।

सतलोक आश्रम जनकपुर नेपाल में रजाई गद्दा स्टोर रूम

पंडाल के एक छोर पर कोने में एक रजाई गद्दा स्टोर रूम बनाया गया है, आश्रम में दूरदराज क्षेत्रों, शहरों, राज्यों, और देशों से आने वाले भक्तजनों के लिए रजाई गद्दों का पर्याप्त मात्रा में इंतजाम किया गया है। ताकि सर्दी में किसी भी भक्तजन को किसी भी प्रकार की असुविधा या तकलीफ का सामना ना करना पड़े। एक तरफ रजाई ओड़कर सर्दी में बैठना और संत रामपाल जी महाराज जी के अमृत वचनों यानि सत्संग श्रवण करना यह कितना मनमोहक और आनंदित होता है यह सिर्फ भक्ति करने वाले भक्तजन ही बता सकते हैं। आश्रम में जो भी भगत  ठहरना चाहते हैं उन्हें ज़रूरत अनुसार एक एक गद्दा और सर्दियों में रज़ाई भी दी जाती है। 

सतलोक आश्रम जनकपुर नेपाल में प्राथमिक चिकित्सा व्यवस्था

कभी-कभी दूरदराज से आने वाले लोगों, बच्चों, बुजुर्गों, बहनों, माताओं को उल्टी, जुकाम, सर दर्द, पेट दर्द, दस्त, महावारी या कहीं हल्की खरोंच आदि जैसी तकलीफ हो जाती है तो उन्हें तुरंत प्राथमिक चिकित्सा या सामान उपलब्ध कराया जाता है। यहां पर मिलने वाली सभी दवाइयां पूरी तरह से निशुल्क हैं। इमरजैंसी होने की स्थिति में अस्पताल ले जाने की भी तत्काल निशुल्क सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।

सतलोक आश्रम जनकपुर नेपाल में बिजली और जनरेटर की पूरी व्यवस्था

आश्रम में बिजली की पूरी व्यवस्था की गई है कूलर, पंखे, एलईडी बल्ब कंप्यूटर, लैपटॉप ,मोबाइल फोन चार्जिंग प्वाइंट व अन्य सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को चलाने के लिए बिजली की उपयुक्त व्यवस्था है।

बिजली प्रदान करने वाले उच्च क्वालिटी के जनरेटर पार्किंग की तरफ लगाए गए हैं ताकि आश्रम प्रबंधन, सत्संग समागम, पाठ प्रकाश समागम इत्यादि, में किसी भी प्रकार का अवरोध ना आए तथा सेवादार भक्तों को भी किसी भी प्रकार का कोई कष्ट ना हो। संपूर्ण बिजली से संबंधित व्यवस्था सुचारू रूप से बनी रहती है और आश्रम का दृश्य हमेशा मनमोहक बना रहता है। इससे लिए आश्रम में सेवा देने वाले भक्तो की सेवा लगाई जाती हैं जो बिजली से संबंधित सभी कार्य कर लेते हो।

सतलोक आश्रम जनकपुर नेपाल में पाठ प्रकाश की व्यवस्था

पाठ प्रकाश के समय भक्त भाइयों और बहनों की तरफ दो अलग अलग दरबार साहेब लगाए जाते हैं जहां पर भक्त भाई और बहनें बैठकर तीन दिन तक सूक्ष्म वेद अर्थात अमर ग्रंथ को पढ़ते हैं। जो की संत गरीबदास जी महाराज द्वारा लिखित है। पाठ प्रकाश के समय दरबार साहिब को बहुत ही सुंदर ढंग से सजाया जाता है, यहां बैठकर पाठी “श्री अमर ग्रंथ साहेब” का पाठ करते हैं तथा अन्य माता, बहन, भाई “श्री अमर ग्रंथ साहेब” पर चवंर करते हैं। 

सतलोक आश्रम जनकपुर में होते हैं समाजोपयोगी अनुकरणीय कार्य

 सन्त रामपाल जी महाराज के सत्संग का प्रभाव ऐसा है कि लाखों की संख्या में लोग एकजुट होते हैं और इसके बाद भी व्यवस्था बनाए रखते हैं। लाखों लोगों का एक स्थान पर रहना, खाना, सोना आम बात नहीं है। अनेकों सेवादार निष्काम भाव से सेवा में अब तक लगे हुए हैं। सन्त रामपाल जी महाराज ने अपनी पुस्तक ‘जीने की राह‘ में भी मनुष्य जीवन के उद्देश्य एवं समाज के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को स्पष्ट किया है। उनके सत्संगों से प्रेरित होकर ही रक्तदान, देहदान एवं दहेजमुक्त विवाह के आयोजन होते हैं। ऐसे नेक कार्य केवल समाज के कल्याण के लिए ही संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा किए जा रहे हैं।

राम राज्य की स्थापना हो रही है सतलोक आश्रम जनकपुर नेपाल से 

पूर्ण परमेश्वर, परम अक्षर ब्रह्म, उत्तम पुरुष, के द्वारा बोली गई अमृतवाणी के माध्यम से कलयुग में सतयुग की स्थापना की अलख जगाई जा चुकी है। बस देखते ही देखते ज्ञान की यह रोशनी पूरे विश्व में फैल रही है। बड़े ही आश्चर्य कर देने वाले तरीके से पूरा संसार इस ज्ञान रूपी रोशनी की तरफ बढ़ता चला आ रहा है क्योंकि यह सब उस कबीर साहिब जी की समर्थता का ही प्रमाण है

कलयुग में सतयुग ठहराऊं, तातें बंदी छोड़ कहाऊं।

बंदी छोड़ हमारा नामं, अजर अमर है अस्थिर ठामं।।

अर्थात: कबीर साहेब जी कहते हैं, कि हम अपनी शक्ति से भरे कलयुग में भी सतयुग जैसा माहौल बना सकते हैं। साथ ही वे कहते हैं हमें बंदी छोड़ इसलिए कहा जाता है, क्योंकि हम काल के जेल से छुड़वा कर, सतलोक भेजकर आपको अजर अमर कर सकते हैं। कबीर परमेश्वर जी कहते हैं हमारा मूल स्थान अजर अमर लोक अर्थात सतलोक हैं। वर्तमान में कबीर परमेश्वर जी के ही अवतार संत रामपाल जी महाराज जी विश्व में राम राज्य की स्थापना के लिए अग्रसर हैं।

जाती – पाती का भेद समाप्त कर रहा है सतलोक आश्रम जनकपुर नेपाल

जातिवाद, ऊंच-नीच, अमीर गरीब जैसी बुराइयां नहीं हैं जनकपुर आश्रम में

सतलोक आश्रम जनकपुर एक ऐसा स्थान है जहां पर किसी भी धर्म पंथ, समुदाय, जाति, मजहब का व्यक्ति हो किसी भी प्रकार की छुआछूत नहीं करता, यह सब तत्वज्ञान से ही संभव हो सका है कबीर साहेब जी कहते हैं

जीव हमारी जाति है मानव धर्म हमारा । 

हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई धर्म नहीं कोई न्यारा ।।

अर्थात कबीर परमेश्वर जी हमें समझाते हुए बताते हैं कि हम सब एक परमात्मा के बंदे हैं उसी के बच्चे हैं कोई भी धर्म अलग नहीं है। जीव हमारी जाति है और मानवता ही हमारा धर्म है।

जगतगुरु तत्वदर्शी संत यही वह आखरी पैगंबर है जो पूरे विश्व को एक सूत्र में बांध देंगे, इन्हीं के सानिध्य में हिंदुस्तान विश्व गुरु तथा विश्व का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र होगा। आज नहीं तो कल सभी को इनकी शरण ग्रहण करना पड़ेगा। सतलोक आश्रम जनकपुर नेपाल तथा अन्य आश्रमों के माध्यम से मानव कल्याण के लिए दिन-रात अथक परिश्रम कर रहे हैं। सभी से प्रार्थना है संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेकर सत भक्ति करें, ताकि आप इस गंदे लोग से मुक्ति पाकर सतलोक प्राप्त करें।

काल करे सो आज कर, आज करे सो अब ।

पल में परलै होयेगी, बहुरि करेगा कब ।।

अर्थ : हमारे पास समय बहुत कम है, जो काम कल करना है उसे आज करो और जो आज करना है, उसे अभी करो। इस गंदे लोग में एक पल में भी प्रलय हो सकती है फिर आप कब भक्ति करोगे अर्थात अभी से भक्ति करना शुरू करो। अधिक जानकारी प्राप्त करने हेतु आप सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल पर विजिट कर सकते हैं।