Satlok Ashram Shamli (Uttar Pradesh) | धरती पर मौजूद है सनातन परम धाम अर्थात ‘मिनी सतलोक’

परमात्मा प्राप्ति तथा पूर्ण मोक्ष के इच्छुक साधकों के लिए सतलोक आश्रम शामली साधना व भक्ति का अद्भुत केंद्र है। इस स्थान पर आकर परमात्मा प्राप्ति की खोज में युगों-युगों से भटक रहे साधकजनों को वह भक्तिविधि बताई जाती है जिससे परमात्मा प्राप्ति के साथ-साथ पूर्ण मोक्ष भी आसानी से प्राप्त होता है तथा असाध्य रोगों से भी मुक्ति मिलती है। अब तक साधकों को उनके धर्मगुरुओं, पीर, फकीर, औलियाओं द्वारा यही बताया गया है कि पाप कर्म भोगने पड़ते हैं परंतु यही वो अद्भुत स्थान है जहां पर शास्त्रों से प्रमाणित करके इस बात की गांरटी दी जाती है कि सत्य साधना करने से घोर से घोर पाप भी समाप्त हो जाते हैं। आइए जानते हैं विस्तार से इस धरती पर उपस्थित इस सनातन परम् धाम अर्थात मिनी सतलोक के विषय में।

कैसा है ‘सतलोक आश्रम शामली’

राग-द्वेष, छुआछूत, ऊंच-नीच, अमीर-गरीब, जाति-धर्म जैसी मानसिकताओं का यहां दूर-दूर नामोनिशान भी नही है, अपितु यह स्थान तो मानवता व भाईचारे के शिक्षण का अद्भुत केंद्र है। यहां पर संत रामपाल जी महाराज जी सत्संगों के माध्यम से यह बताया जाता है कि सभी जीव-जंतु उस एक पूर्ण परमेश्वर कविर्देव की संतान हैं, मनुष्य की मूल प्रकृति है कि वह भाईचारे से रहे तथा किसी को दुःख न पहुंचाए। देश-दुनिया से आने वाले श्रद्धालु यहां आकर आनंद की अनुभूति प्राप्त करते हैं मानो उन्हें इस पृथ्वी पर ही सतलोक (जिसे वेदों में ऋतधाम अर्थात सनातम परम् धाम कहा गया है) की प्राप्ति हो गयी हो। इस मृत्युलोक में मौजूद इस सनातन परम् धाम अर्थात इस मिनी सतलोक के विषय में विस्तृत वर्णन करने लगेंगे तो शायद शब्दकोश में शब्द कम पड़ जाएंगे। इसलिए आइए जानते हैं कुछ मुख्य-मुख्य बिंदुओं के आधार पर इस सत्य साधना के अनुपम केंद्र के विषय में।

कबीर साहेब प्रकट दिवस की महत्वपूर्ण जानकारी

उत्तरप्रदेश का सतलोक आश्रम वेदखेड़ी जोकि शामली जिले में स्थित है। यहाँ आगामी 2 से 4 जून को कबीर साहेब जी का प्रकट दिवस मनाया जाएगा। जिसमें अखण्ड पाठ, विशाल भंडारा, दहेज मुक्त विवाह, रक्तदान शिविर जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस कार्यक्रम का लेटेस्ट अपडेट पाने के लिए क्लिक करें

जानिए ‘सतलोक आश्रम शामली’ पहुंचने का पूर्ण पता

संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में हिंदुस्तान के उत्तरप्रदेश राज्य के शामली जिले में संचालित है यह सतलोक आश्रम। इस मिनी सतलोक में पहुंचने का पूर्ण पता है “करनाल मेरठ हाइवे पर शामली में गांव बेयरखेड़ी औऱ गांव मंसुरा के रास्ते पर।

सत्य साधना के इस केंद्र पर अमानवीय वस्तुओं का प्रवेश निषेध है

सतलोक आश्रम शामली में आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए द्वार पर प्रवेश से पूर्व ही उनकी अच्छे से तलाशी ली जाती है ताकि कोई सन्देहास्पद वस्तु जैसे कि हथियार इत्यादि प्रवेश न कर सके जिससे भविष्य में होने वाली घटना से पूर्व ही उसका बचाव हो जाये। द्वितीय बात यह भी है कि सतलोक आश्रम में नशा इत्यादि पूर्ण रूप से वर्जित है इसलिए सतलोक आश्रम के अंदर कोई नशे सम्बंधित सामाग्री न ले जा सके इस कारण भी अत्याधुनिक मशीनों के द्वारा तलाशी ली जाती है।

जानिए कौन-कौन सी सुविधाओं से परिपूर्ण है ‘सतलोक आश्रम शामली’

सरल शब्दों में कहें तो यह मिनी सतलोक अपने आप में सुविधाओं का भंडार है। यहां आने वाली परमात्मा प्रिय पुण्यात्माओं की छोटी से छोटी सुविधाओं का ध्यान रखा जाता है। हर उस बिंदु पर गौर किया जाता है जिससे यहां आने वाले भक्तजनों को किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े। आइए जानते हैं विस्तार से कि ‘सतलोक आश्रम शामली’ अपने आप में कौन-कौन सी सुविधाओं को समेटे हुए है। यहां पर दी जाने वाली छोटी-बड़ी सर्व प्रकार की सुविधाएं निशुल्क व निस्वार्थ भाव से श्रद्धालुओं को प्रदत्त की जाती हैं अर्थात किसी प्रकार का कोई शुल्क नही लिया जाता है।

भाइयों व बहनों के अलग-अलग सत्संग पांडाल 

आश्रम में पांडाल का अपना एक विशेष महत्व होता है क्योंकि परमात्मा प्रिय साधकों के लिए यही वह स्थल है जहां बैठकर वह सत्संग श्रवण करके ज्ञान रूपी क्षुधा पूर्ति करते हैं, भगवान की चर्चा करते हैं। इसी बात का विशेष ध्यान रखते हुए सतलोक आश्रम मैंनेजमेंट द्वारा दुनिया भर के कोने कोने से आये परमात्मा प्रिय साधकजनों के लिए सुसज्जित, हवादार व प्रकाशयुक्त पांडाल की व्यवस्था की गई है। इस पांडाल की खास बात यह है कि भाइयों के लिए अलग पांडाल के साथ साथ माताओं व बहनों के लिए भी एक पृथक से सुविधाओं से भरपूर पांडाल की व्यवस्था की गई है।

बहनों व भाइयों के लिए अलग-अलग दरबार साहेब 

माताओं-बहनों के लिए पृथक दरबार साहेब तथा भाइयों के अलग से दरबार साहेब मौजूद है जहां पर माताएं-बहनें व भाई अमर ग्रंथ साहिब का पाठन करते हैं। इस दरबार साहेब की सबसे अच्छी विशेषता यह है कि यहां पर किसी भी प्रकार का जाति-धर्म, ऊंच-नीच, अमीर गरीब के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव नही किया जाता है। जो भी माताएं-बहनें व भाई पढ़े-लिखे व सतगुरु जी से दीक्षित हैं उन सभी को अमर ग्रंथ साहिब पाठ करने का अवसर प्राप्त होता है। 

साधकों को प्रणाम करने हेतु पृथक प्रणाम स्थल

परमात्मा के दीदार की आशा लिए हुए देश-दुनिया के कोने-कोने से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सत्संग स्थल से आगे की ओर प्रणाम स्थल मौजूद है। परमात्मा प्राप्ति की चाह रखने वाले साधकजनों का यह जानना भी अति आवश्यक है कि भक्ति व साधना उसी साधक की सफल होती है जिसमे नम्रता व आधिनी होती है। आधीन बनने के लिए प्रणाम यज्ञ करना अति अनिवार्य है। सूक्ष्मवेद में तथा गीता अध्याय 4 के श्लोक 34 में कहा गया है कि पूर्ण मोक्ष मार्ग तत्वज्ञान (सूक्ष्मवेद) में सम्पूर्ण लिखा है। सूक्ष्मवेद स्वयं सच्चिदानंद घन ब्रह्म (परम् अक्षर ब्रह्म) अपने मुख कमल से बोलता है। 

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वह तत्वज्ञान तत्वदर्शी सन्तों के पास होता है इसलिए उस तत्वज्ञान की प्राप्ति के लिए तत्वदर्शी सन्तों को दण्डवत प्रणाम करके नम्रतापूर्वक प्रश्न करना चाहिए जिससे तत्वदर्शी सन्त तत्वज्ञान का उपदेश करेंगे। गीता अध्याय 18 के श्लोक 65 में भी कहा गया है कि मुझ में मतवाला हो, मुझको प्रणाम कर। इस प्रकरण से स्प्ष्ट है कि पूर्ण परमात्मा की भक्ति करने के लिए दण्डवत प्रणाम करना होता है तथा ब्रह्म तक की भक्ति करने वाले केवल करबद्ध होकर नमस्कार (प्रणाम) करते हैं। हमने पूर्ण ब्रह्म की भक्ति करनी है। इसलिए हम दण्डवत प्रणाम करते हैं। यही प्रणाम यज्ञ है। तत्वज्ञान (सूक्ष्मवेद) में कहा गया है इस दण्डवत प्रणाम से अहंकार नष्ट होता है। पृथ्वी पर पेट के बल लेटकर दोनों हाथों को सामने सिर के ऊपर को फैलाकर पैर आपस में मिलाकर पैर के पंजे पर थोड़ा सा पंजा चढ़ाकर पैर तथा हाथ जोड़कर प्रभु को दण्डवत प्रणाम यज्ञ अनुष्ठान करते हैं जो अहंकार को समाप्त करता है और प्रणाम यज्ञ का लाभ मिलता है।

सूक्ष्मवेद में कहा है-:

कबीर,  गुरु को कीजिये दण्डवतम्, कोटि-कोटि प्रणाम।

कीट न जाने भ्रंग कूं, करले आप समान।।

संत मिलन को चालिए, तज माया अभिमान ।

जो जो पग आगे धरे, त्यों त्यों यज्ञ समान।।

क्षुधा पूर्ति हेतु विशाल भण्डारघर

लोकवेद के आधार पर एक कहावत प्रचलित है जिसे अधिकतर पाठकजनों ने सुना ही होगा। वह कहावत यह है कि ‘भूखें भजन न होय गोपाला।’ अर्थात खाली पेट किसी भी कार्य में मन नही लगता है चाहे वह भौतिक कार्य हों या फिर आध्यात्मिक। इसलिए पृथ्वी पर उपस्थित इस सनातन परम् धाम अर्थात मिनी सतलोक में सर्वप्रथम साधकों की क्षुधा पूर्ति करवाई जाती है। क्षुधा पूर्ति हेतु चौबीसों घण्टे भण्डारघर चलायमान रहता है। रात्रि में आने वाले भक्तजनों के लिए भी सर्वप्रथम चाय-बिस्कुट के साथ भोजन कराया जाता है।

शुद्ध पेयजल व्यवस्था

जल तो किसी के लिए भी प्राथमिक आवश्यकता होती है चाहे वह स्त्री हो या पुरुष या वृद्ध हो या नवयुवक या फिर बालक। इसलिए इस आवश्यकता को प्राथमिकता देते हुए, सतलोक आश्रम शामली में शीतल पेयजल की व्यवस्था की गई है।

उच्च स्तरीय चिकित्सा व्यवस्था 

प्राथमिक चिकित्सा के लिए पृथक चिकित्सालय बनाया गया है। जिसमें अनुभवी चिकित्सकों की देखरेख में रोगियों का इलाज किया जाता है। हिंदुस्तान ही नही दुनिया के कोने-कोने से साधकजन सत्संग सुनने आते हैं। कई बार लम्बी यात्रा के दौरान हल्का फुल्का बुखार या उल्टी दस्त भी होते हैं इसी समस्या के निवारण के लिए ही प्राथमिक चिकित्सा की व्यवस्था की गई है।

सुविधाओं से लैस इस मिनी सतलोक में जूताघर जैसी व्यवस्था भी है

परमात्मा की प्राप्ति के उद्देश्य से आये स देश दुनिया के हर कोने से आये श्रद्धालुओं के लिए किसी भी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े इस उद्देश्य से जूता-चप्पल रखने हेतु जूताघर की भी व्यवस्था की है जहां पर एक समय में अधिक से अधिक श्रद्धालुओं के जूते-चप्पल सुरक्षित रखे जा सकते हैं। सभी व्यवस्थाओं की तरह यह व्यवस्था भी बिल्कुल निशुल्क है।

असुविधा से बचाव हेतु विशेष पार्किंग व्यवस्था

इस मिनी सतलोक का दीदार करने तथा पूर्ण मोक्ष की अभिलाषा लिए हुए जब दूर-दराज से श्रद्धालुजन आएंगे तो यह निश्चित सी बात है कि उनके साथ वाहन भी होंगे। इसलिए वाहनों को भी सुरक्षित रखा जा सके इसके लिए पार्किंग की दो-दो जगह पर विशेष सुरक्षा के साथ व्यवस्था की गई है।

पाठकों के लिए सर्वधर्म ग्रन्थों के सार से सुसज्जित पुस्तकालय

हम आज हर विषय में पुस्तक पढ़ कर जानकारी प्राप्त कर रहे हैं सिवाय आध्यात्मिक ज्ञान के, क्योंकि अभी तक कोई ऐसा महान पुस्तक लिखने वाला लेखक नहीं हुआ था जिसने आध्यात्मिक ज्ञान के रहस्यों पर से पर्दा उठा कर उसे सरलता से समझाकर कलमबद्ध किया हो। वर्तमान में ऐसे ही एक आध्यात्मिक ज्ञान से ओतप्रोत महान आध्यात्मिक लेखक हैं जिनका नाम है जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी जिनके आज विश्वभर में करोड़ों शिष्य हैं। संत रामपाल जी द्वारा लिखी पुस्तकों को पढ़कर लोगों का जीवन ही बदल गया। 

क्या बच्चा, क्या बड़ा, क्या बूढ़ा सभी संत रामपाल जी द्वारा लिखित पुस्तकें बड़े ही चाव से पढ़ते हैं। संत रामपाल जी महाराज ही एकमात्र ऐसे संत हैं जिन्होंने सभी धर्मों के पवित्र सद्ग्रन्थों के निष्कर्ष से परिचित कराया है और इस निष्कर्ष के आधार पर सतभक्ति विधि बताई है। जिससे साधकों को सर्व लाभ प्राप्त हो रहे हैं साथ ही पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति भी सम्भव है। इस पुस्तकालय में उपस्थित पुस्तकों जैसे कि जीने की राह, ज्ञान गंगा, गीता तेरा ज्ञान अमृत, मुसलमान नहीं समझे ज्ञान कुरान, कबीर बड़ा या कृष्ण, अंधश्रद्धा भक्ति खतरा-ए-जान, गरिमा गीता की इत्यादि पुस्तकों का उद्देश्य जन साधारण तक सतज्ञान को पहुंचाना है इसलिए इन पुस्तकों का मूल्य बहुत ही कम रखा जाता है।

परमात्मा प्राप्ति के प्रबल मुमुक्षुओं के लिए पृथक नामदान स्थल

संत रामपाल जी महाराज जी के अनमोल ज्ञान का श्रवण करके तथा इस तत्वज्ञान को समझकर निशुल्क नाम दीक्षा प्राप्ति में बिलम्ब न करें क्योंकि मनुष्य जीवन का एक-एक क्षण कीमती है इस समय को सतभक्ति में लगाकर इसका सदुपयोग करें। नाम दीक्षा प्राप्त करने के लिए पृथक से नामदान स्थल बनाये गए हैं जिनमें भी बहनों व माताओं के लिए अलग व भाइयों के लिए अलग व्यवस्था की गई है।

 सूक्ष्मवेद में कहा गया है -:

मानुष जन्म दुर्लभ है, मिले न बारम्बार ।

तरवर से पत्ता टूट गिरे, बहुरि न लागे डारि ।

सीसीटीवी कैमरों (CCTV Surveillance) से रहेगी चारों निगरानी

भगवान के दीदार के साथ-साथ पूर्ण मोक्ष की आशा से देश दुनिया के श्रद्धालुओं का सैलाब आता है। इसलिए इन श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए यह आश्रम चौबीसों घण्टे सीसीटीवी कैमरे के निगरानी में रहता है ताकि किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े। कई बार अक्सर भीड़-भाड़ में छोटे-छोटे बच्चे भी अपने परिवारजनों से बिछड़ जाते हैं, जिन्हें इन कैमरों की मदद से आसानीपूर्वक उनके परिवारजनों तक पहुंचाया जाना सम्भव हो पाता है। 

सूचना उद्घोष व्यवस्था (Announcement)

अक्सर देखा जाता है कि भीड़भाड़ के मौके पर श्रद्धालुओं के परिवारजन या फिर छोटे बच्चे भीड़ के कारण अलग-अलग हो जाते हैं इस समस्या के निवारण के लिए श्रद्धालुओं को सूचना देने के लिए एक उद्घोष केंद्र है। जहां से कोई भी सूचना दी जा सकती है। किसी भक्त को यदि किसी से संपर्क करना है तो वह भी सूचना उद्घोष केंद्र द्वारा कर सकता है। साथ ही कई बार इन्हीं सूचना उद्धोष केंद्रों का सहारा लेकर बड़ी से बड़ी आपात स्तिथियों से निकल पाना भी सम्भव होता है।

सुरक्षा कक्ष (Security Room) भी है मौजूद

आकस्मिक स्तिथि जैसे कि आगजनी या कोई मानवीय क्रियाकलापों से उत्पन्न स्तिथि से निपटने हेतु आधुनिक तकनीक से भरपूर एक सिक्योरिटी रूम भी बनाया गया है जहां पर आमजन का जाना निषेध है सिर्फ आश्रम में सेवारत सिक्योरिटी सेवादारों को ही जाने की अनुमति है।

विशाल हवादार व प्रकाशयुक्त शयनकक्ष

सत्संग श्रवण करने आने वाले भक्तजनों के लिए रात्रि विश्राम हेतु हवादार व प्रकाशयुक्त शयनकक्ष की व्यवस्था की गई है। इस शयनकक्ष की खास बात यह है कि माताओं बहनों के लिए के लिए अलग शयनकक्ष तथा भाइयों के लिए अलग शयनकक्ष का स्थान रखा गया है। यह शयनकक्ष सत्संग पांडाल ही होता है।

शौचालय व स्नानागार 

किसी भी मनुष्य के लिए शौचालय व स्नानागार प्राथमिक आवश्यकता होती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए ‘सतलोक आश्रम शामली’ में सर्व सुविधायुक्त शौचालयों व स्नानागार की व्यवस्था की गई है। माताओं बहनों के लिए अलग शौचालय व स्नानागार व भाइयों के लिए पृथक शौचालय व स्नानागार निर्मित किये गए हैं।

गर्म पानी के लिए बॉयलर

सर्दियों के मौसम में पीने, नहाने धोने के लिए गर्म पानी की आवश्यकता होती है। इसके लिए आश्रम में बॉयलर की व्यवस्था उपलब्ध है। आवश्यकता पड़ने पर साधकजनों की सेवा के लिए यह बॉयलर किसी भी मौसम में कभी भी उपयोग में लिए जा सकते हैं।

मोबाइल चार्जिंग 

आज के समय में मोबाइल एक दैनिक आवश्यकता बन चुका है इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए मोबाइल चार्जिंग के लिए भी व्यवस्था की गई है जहां श्रद्धालु आवश्यकतानुसार मोबाइल चार्जिंग कर सकते हैं। भक्तजनों को मोबाइल संबंधित किसी भी असुविधा को नहीं होने देने के लिए यहाँ उनके मोबाइल को सुरक्षापूर्वक चार्ज करने की 24 घंटे व्यवस्था है।

जनरेटर

किसी विशेष परिस्तिथि में विद्युत प्रदाय अवरुद्ध हो जाने पर असुविधा से बचने हेतु जनरेटर की व्यवस्था भी की गई है ताकि जरूरी सेवाओं के लिए सुचारू रूप से बिजली प्राप्त हो सके।

सरकार के दिशा निर्देशों का कड़ाई से किया जाता है पालन

परमात्मा चाह रखने वाली पुण्यात्माओं का यहां लगातार आना जाना रहता है इसी को ध्यान में रखते हुए यहां पर कोविड काल के दौरान जारी किए गए निर्देशों का पालन किया जाता है जैसे कि आश्रम में प्रवेश से पूर्व श्रद्धालुओं को सेनेटाइज करना तथा आवश्यक दूरी बनाये रखना।

विशेष समागम पर आते हैं लाखों की संख्या में श्रद्धालुजन

विशेष समागम के पावन अवसर पर इस नव निर्मित ‘सतलोक आश्रम शामली’ में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उपस्थित होता है। इन विशेष समागमों में भंडारे के पश्चात श्रद्धालुओं को सत्संग रूपी अमृत वर्षा का भी पान कराया जाता है साथ ही तीन दिवसीय अखण्ड पाठ का भी आयोजन होता है।

सतज्ञान व सत्य साधना का अनूठा केंद्र है ‘सतलोक आश्रम शामली’

यहां आने वाली परमात्मा प्रिय पुण्यात्माओं के लिए सतलोक आश्रम शामली सत्य साधना व पूर्ण मोक्ष का अनूठा केंद्र है। परमात्मा की खोज में दर-दर भटकने के पश्चात निराश हो चुके भोले साधकजन यहां आकर अपनी सतज्ञान रूपी क्षुधा तृप्ति करते हैं और यहां से पुनः प्रसन्न होकर जाते हैं यही वह अनूठा स्थान है जहां पर असाध्य से असाध्य रोगों को सतभक्ति रूपी संजीवनी से पूर्ण रुप से समाप्त करने की गारंटी दी जाती है।

पूर्ण गुरु संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में संचालित है यह सनातन परमधाम ‘मिनी सतलोक’

मानव समाज के उत्थान में मुख्य भूमिका निभाने वाले महान समाजसुधारक जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी की अध्यक्षता में संचालित है यह सत्य साधना का केंद्र। संत रामपाल जी महाराज जी के ज्ञान का लोहा आज हर कोई मान चुका है फलस्वरूप संत रामपाल जी के अनुयायियों में दिन प्रतिदिन लगातार वृद्धि हो रही है और हो भी क्यों न! यह ज्ञान ही इतना निर्मल और शास्त्रविधि पर आधारित है।

सन्त रामपाल जी ने किया आव्हान पाखंड मुक्त मानव समाज का होगा निर्माण

संत रामपाल जी महाराज ही एकमात्र ऐसे सन्त हैं जिन्होंने पाखण्डवाद का सफलतापूर्वक सही तर्कों के साथ खंडन किया है। उन्होंने धर्म के नाम पर चल रहे अंधाधुंध फैले व्यापार को उजागर किया, शास्त्रों का नाम लेकर मनमानी क्रियाओं का खंडन किया। इतना ही नहीं, अपितु संत रामपाल जी ने सभी शास्त्रों को खोला और पढ़कर सुनाया। जनता को तत्वज्ञान से परिचित करवाया। संत रामपाल जी महाराज पूरे विश्व में एकमात्र तत्वदर्शी सन्त हैं। व्रत, उपवास, जीवहत्या, मांसाहार, सुरापान, मूर्तिपूजा के विषय में शास्त्र क्या कहते हैं इस विषय में केवल संत रामपाल जी महाराज ने शास्त्र खोलकर प्रमाण दिया।

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गुरु बनाना क्यों आवश्यक है और एक पूर्ण गुरु के क्या लक्षण होते हैं यह प्रमाण सहित बताकर संत रामपाल जी ने समाज पर उपकार किया है। इतिहास गवाह है कि आज तक किसी धर्मगुरु ने शास्त्रों के वास्तविक अर्थ से हमारा परिचय नहीं करवाया था। साथ ही यह भी सर्वविदित है कि कुरान बाइबल औऱ गुरुग्रंथ साहिब को खोलकर सही अर्थ बताने वाले सन्त केवल संत रामपाल जी महाराज ही हुए हैं। सन्त रामपाल जी महाराज ने गुरु के महत्व, नामदीक्षा और नाम स्मरण के महत्व को बताकर मानव जीवन सफल बनाने का अवसर दिया है।

धरती पर मौजूद इस सनातन परमधाम ‘सतलोक आश्रम शामली’ में जाकर करें ज्ञानबोध

यह समय है सतज्ञान अर्जित करने का, इसलिए सतज्ञान अर्जित करने सतलोक आश्रम शामली (उ.प्र.) में पधारकर परमात्मा चाहने वाली पुण्यात्माएं सत्संग श्रवण के माध्यम से ज्ञान बोध करें। जो पुण्यात्माएं किसी कारणवस इस आश्रम पर नहीं पधार नहीं पाती हैं वह “Sant Rampal Ji Maharaj” YouTube Channel, और Facebook Page “Spiritual Leader Sant Rampal Ji Maharaj” के माध्यम से प्रतिदिन इन सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर छपने वाले अनमोल सत्संग का श्रवण कर सतज्ञान प्राप्त करें तथा अपने मित्रों, परिवारजनों और रिश्तेदारों को भी अधिक से अधिक यह ज्ञान साझा करें। सतलोक आश्रम शामली में होने वाले आगामी समागमों की जानकारी हेतु व इन समागमों को घर बैठे देखने के लिए Satlok Ashram YouTube channel को Subscribe करें तथा अधिक जानकारी के लिए PlayStore से “Sant RampalJi Maharaj App” अवश्य डाऊनलोड करें।