Satlok Ashram Dhuri [Punjab] | सत साधना का आध्यात्मिक केंद्र – सतलोक आश्रम धुरी, अनेकों सुविधाओं से युक्त

Satlok Ashram Dhuri, Punjab: पूरी पृथ्वी में कहीं आपको सत्य साधना देखने को मिलेगी तो वह है संत रामपाल जी द्वारा स्थापित सतलोक आश्रम। सतलोक आश्रम की एक शाखा सतलोक आश्रम धुरी से जानी जाती है। यह धुरी आश्रम भारत के पंजाब प्रांत के संगरूर जिले की धुरी तहसील में स्थित है। आश्रम में होने वाले सत्संग समागमों में सत्संग सुनने के लिए दूर-दूर से भक्त आत्माएं आती हैं। सत्संगों से तत्वज्ञान और सही साधना की विधि जानकर भक्त आत्माओं को मनुष्य जीवन का लक्ष्य पूरा करने की प्रबल इच्छा बनती है। जिससे साधक सत्य साधना करके इस जीवन को सुख पूर्वक पूरा करने के बाद पूर्ण मोक्ष को प्राप्त करते हैं। आश्रम में सत्संग सुनने आने वाले भक्त आत्माओं को आश्रम में सभी सुविधाएं बिल्कुल मुक्त में प्रदान की जाती हैं। यहीं वजह है कि यह आश्रम पूरे विश्व में चर्चा का विषय बना हुआ है आइये विस्तार से जानते हैं इस आश्रम में कौन-कौन सी सुविधाएं मौजूद हैं।

कबीर प्रकट दिवस की अद्भुत जानकारी

पंजाब के सतलोक आश्रम धुरी, जिला संगरूर में भी कबीर परमेश्वर का 626वां प्रकट दिवस मनाया जा रहा है। इस उपलक्ष्य में अखंड पाठ, अखंड भंडारा, विशाल सत्संग समारोह, दहेज रहित विवाह और रक्तदान शिविर जैसे कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे। इस समागम का लाइव अपडेट पाने के लिए क्लिक करें

सतलोक आश्रम धुरी (Satlok Ashram Dhuri)

प्रभु के प्यासे भक्त परमात्मा की प्राप्ति की प्रबल इच्छा से प्रभु की भक्ति के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। सतलोक आश्रम धुरी में परमात्मा प्राप्ति के लिए सभी आध्यात्मिक क्रियाएं पाठ, यज्ञ, जप और तप शास्त्रों के अनुकूल करने को बताये जाते हैं। आश्रम में आने वाले बड़े बुजुर्ग, माताएं, बहने, बच्चे सभी प्रेम पूर्वक बैठकर सत्संग सुनते हैं और सतज्ञान और सदाचार को अपने जीवन में उतारते हैं। जिससे आश्रम से घर जाने के बाद भी सभी भक्त आत्माएं अपने दैनिक कार्यों को करते हुए भी सत साधना, भक्ति करते हैं। सूक्ष्म वेद में कहा गया है –

गरीब, नाम उठत नाम बैठत, नाम सोवत जाग वे।

नाम खाते नाम पीते, नाम सेती लाग वे।।

कैसा है सतलोक आश्रम धुरी

धुरी आश्रम आधा एकड़ भूमि पर बना हुआ है। इस आश्रम में आने वाली प्रत्येक भक्त आत्मा आनंद महसूस करती हैं, क्योंकि सतलोक आश्रम धुरी में मानवता के सिद्धांतों का पालन किया जाता है। कबीर साहेब जी ने कहा है –

कबीरा खड़ा बाजार में, सब की माँगे खैर ।

ना काहूँ से दोस्ती, ना काहूँ से बैर ।।

हिंदू-मुस्लिम, सिक्ख-ईसाई, आपस में सब भाई-भाई। 

आर्य-जैनी और बिश्नोई, एक प्रभू के बच्चे सोई।।

कबीर साहेब जी और संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान से प्रेरित होकर धुरी आश्रम सभी आडंबरों से दूर रहते हुए छुआछात, जाति-पाति, ऊँच-नीच, धर्मों के भेदभाव आदि से दूर है। यहाँ आने वाले प्रत्येक जाति, धर्म के व्यक्तियों से एक समान व्यवहार किया जाता है। आश्रम में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति सभ्य, शांत, सुशील और साधारण वेशभूषा में नजर आते हैं। यह आश्रम शहर की चकाचौंध से दूर अपनी सादगी और पवित्रता के लिए जाना जाता है।

सतलोक आश्रम धुरी पहुँचने का मार्ग

पंजाब प्रांत के संगरूर जिले के धुरी शहर में संत रामपाल जी महाराज की प्रेरणा से सतलोक आश्रम धुरी है जोकि धुरी के सदर थाना के सामने है। सतलोक आश्रम धुरी, संगरूर-लुधियाना हाईवे पर स्थित है। यह आश्रम संगरूर बस स्टैंड से 13 किलोमीटर और धुरी बस स्टैंड से 3 किलोमीटर की दूरी पर है तथा धुरी रेलवे स्टेशन से आश्रम 3.5 किलोमीटर की दूरी पर है।

सत साधना का आध्यात्मिक केंद्र है सतलोक आश्रम धुरी

सत्य साधना करके मनुष्य जीवन के उद्देश्य को जानने और उस उद्देश्य को पूरा करने का आध्यात्मिक केंद्र है सतलोक आश्रम धुरी। साधक यहाँ आकर सतज्ञान, सतभक्ति और सदव्यवहार को सीखता है जोकि भक्त आत्मा को सत्य साधना की सफलता के लिए आवश्यक होते हैं। आध्यात्मिक क्रियाएं जैसे पाठ, यज्ञ, जप और तप के वास्तविक महत्व को जानकर भक्त स्वयं भी इन आध्यात्मिक क्रियाओं का अभ्यास करता है। आश्रम में आने वाले साधक को वे सभी सुविधाएं सुलभ होती हैं जोकि सम्पूर्ण भक्ति के लिए एक साधक को जरूरी होती हैं। पृथ्वी पर यह एक ऐसा स्थान है जिसे साक्षात अमर सनातन धाम सतलोक कहा जा सकता है यहाँ चौबीसों घंटे भंडारा चलता है, यहां आने वाले श्रद्धालु आनंद की अनुभूति करते हैं। यहां भक्तों को भोजन, ठहरने, नहाने यहाँ तक कि कपड़े धोने के लिए साबुन इत्यादि सभी जरूरत की चीजें बिल्कुल मुफ्त प्रदान की जाती हैं।

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यही कारण है कि प्रभु प्रेमी भक्त आत्माएं बिना किसी चिंता के आश्रम में रहकर सत्य साधना करती हैं। आश्रम की दिनचर्या श्रद्धालुओं में आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों को विकसित करती है। यह आश्रम सत्य आध्यात्मिक ज्ञान के पुनरुत्थान के प्रति समर्पित है जिससे भारत को विश्व में एक नई पहचान मिल रही है। यहां पर होने वाली आध्यात्मिक क्रियाएं विश्वभर में चर्चा का विषय बनी हुई हैं।

क्या-क्या सुविधाएं हैं सतलोक आश्रम धुरी में

सतलोक आश्रम धुरी की तरफ से आश्रम में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए अनेकों सुविधाएं मुहैया कराई जाती है। आइये हम धुरी आश्रम में उपलब्ध सुविधाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

सत्संग स्थल पंडाल

आश्रम में एक पंडाल है जिसमें भक्तों और भक्तमतियों के बैठने की व्यवस्था अलग-अलग होती है। पंडाल में भक्त आत्माएं बैठकर सत्यनारायण अर्थात् पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी की कथा श्रवण करती हैं। सत्यनारायण की कथा पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब द्वारा बोली अमृतवाणी अर्थात् सूक्ष्मवेद और पवित्र चारों वेदों (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद), पवित्र अठारह पुराणों, ग्यारह उपनिषदों, पवित्र गीता, पवित्र कुरान, पवित्र बाईबल आदि धर्मशास्त्रों और परमात्मा प्राप्त संतों की वाणियों से प्रमाणित करते हुए संत रामपाल जी महाराज अपने सत्संगों में बताते हैं। सत्संगों द्वारा तत्वज्ञान समझने के पश्चात् श्रद्धालु भक्त की सभी शंकाएं समाप्त हो जाती हैं। इस प्रकार आश्रम में आए साधक, भक्तगण सतगुरुदेव संत रामपाल जी महाराज जी के सत्संग सुनकर अपने मनुष्य जीवन के मूल उद्देश्य को पहचानते हैं।

प्रणाम स्थल

शास्त्र अनुकूल भक्ति साधना में पाँच यज्ञ बताई गई हैं, जिनमें से एक है प्रणाम यज्ञ। प्रणाम यज्ञ के लिए आश्रम में एक प्रणाम स्थल बनाया गया है। जहाँ श्रद्धालु जन परम संत और पूर्ण परमात्मा कबीर देव जी एवं संत रामपाल जी महाराज को दण्डवत प्रणाम करते हैं। पृथ्वी पर पेट के बल लेटकर हाथों को सिर के आगे सीधा जोड़कर दोनों पैरों को आपस में मिलाकर एक पैर के पंजे को थोड़ा दूसरे पैर पर चढ़ाकर तथा डण्डे की तरह सीधा रहकर दण्डवत प्रणाम की जाती है। श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 4 श्लोक 34 में तत्वदर्शी संत को दण्डवत प्रणाम करने के लिए बताया गया है। कबीर परमेश्वर जी कहते हैं अपने गुरुदेव और गोविंद अर्थात् पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी को दण्डवत प्रणाम अवश्य करनी चाहिए तभी उस भक्त आत्मा का कल्याण सम्भव है।

कबीर, दण्डवत् गोविन्द गुरु, बन्दूँ अविजन सोय। 

पहले भये प्रणाम तिन, नमो जो आगे होय।।

कबीर, गुरुको कीजे दण्डवत, कोटि कोटि परनाम। 

कीट न जानै भृंगको, यों गुरुकरि आप समान।।

कबीर, गुरु गोविंद कर जानिये, रहिये शब्द समाय। 

मिलै तौ दण्डवत् बन्दगी, नहिं पलपल ध्यान लगाय।।

पुस्तकालय

आश्रम में आध्यात्मिक ज्ञान की पुस्तकों का एक पुस्तकालय भी मौजूद है। जिसमें पवित्र सूक्ष्म वेद, पवित्र चार वेद, पवित्र श्रीमद्भागवत गीता, पवित्र अठारह पुराण, पवित्र कुरान, पवित्र बाइबल, पवित्र श्री गुरुग्रंथ साहिब, पवित्र संतों की वाणियों एवं सभी धर्मों के पवित्र शास्त्रों से प्रमाणित ज्ञान के आधार पर बनी पवित्र पुस्तकें ज्ञान गंगा, जीने की राह, गीता तेरा ज्ञान अमृत, कबीर परमेश्वर, भक्ति से भगवान तक, गहरी नजर गीता में, कबीर बड़ा या कृष्ण, मुसलमान नहीं समझे ज्ञान कुरान आदि उपलब्ध है। सोशल मीडिया पर सर्वाधिक लोकप्रिय होने वाली और रिकॉर्ड डाऊनलोड की जाने वाली बहुत ही लोकप्रिय पुस्तक जीने की राह भी यहाँ पर उपलब्ध है। हिन्दी और अंग्रेजी के अतिरिक्त 13 अन्य भाषाओं में भी अधिकांश पुस्तकें उपलब्ध हैं। इन पवित्र पुस्तकों को पढ़ने से मनुष्य की आत्मा ज्ञानवान बनती है जिससे पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति करने की प्रबल इच्छा बनती है।

प्राथमिक चिकित्सालय

आश्रम में दूर-दूर से सत्संग सुनने आने वाले व्यक्तियों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए, आश्रम में आये व्यक्तियों को कोई छोटी मोटी समस्या जैसे उल्टी, दस्त, हल्का बुखार आदि होता है तो प्राथमिक चिकित्सा या तात्कालिक उपचार (First Aid) देने के लिए प्राथमिक चिकित्सा केंद्र अर्थात् प्राथमिक चिकित्सालय बनाया गया है। यह सुविधा बिल्कुल मुफ्त में प्रदान की जाती है।

जूताघर

सत्संग सुनने आने वाली पुण्य आत्माओं के जूते, चप्पल रखने के लिए आश्रम में एक जूताघर भी है। जूताघर में 2000 व्यक्तियों के जूते चप्पल रखने की सुविधा उपलब्ध है। यहाँ पर जूता सेवादार आश्रम में सत्संग सुनने आने वाले श्रद्धालुओं के जूते चप्पल सुविधा से रखने और सत्संग सुनकर जाने वाले श्रद्धालुओं के जूते चप्पल वापिस देने के लिए सेवा में रहते हैं।

भगत-भगतमतियों के लिए अलग-अलग शौचालय और स्नान घर

माताओं बहनों के लिए, माताओं बहनों वाले पंडाल की तरफ शौचालय व स्नानघर बनाए गए हैं। यहां पर मौसम के अनुसार ठंडा-गरम पानी, साबुन, मंजन इत्यादि नि:शुल्क प्रदान किए जाते हैं यहां की सेवा सिर्फ माताएं बहनें ही देखती हैं। 

और भक्त भाईयों के लिए भी भक्तों वाले पंडाल की तरफ शौचालय व स्नानघर बनाये गए हैं। यहाँ भी सभी सुविधाएं एकसमान ही हैं। यहां की सेवाएं भाई सेवादारों द्वारा दी जाती हैं।  

पाठ के लिए पवित्र दरबार साहेब जी

पंडाल में आगे की ओर भक्त भाइयों और माताओं, बहनों के लिए अलग-अलग दरबार साहेब लगाया गया है, जहां पर संत गरीबदास जी महाराज के अमर ग्रंथ साहिब जी का पाठ किया जाता है। इस दरबार साहेब की खास बात यह है कि यहां पर किसी भी प्रकार का जाति भेद, ऊंच-नीच, अमीर गरीब का कोई भेदभाव नहीं है। जो भक्त भाई, माताएं, बहनें पढ़े-लिखे हैं और संत रामपाल जी महाराज जी से दीक्षित हैं। उन सभी को अमर ग्रंथ साहिब जी जिसे सतग्रंथ साहिब जी भी कहा जाता है का पाठ करने का अवसर प्राप्त होता है। अमर ग्रंथ साहिब की वाणी पढ़ने और सुनने से भक्त आत्माओं को ज्ञान यज्ञ का फल मिलता है। भक्तों वाले दरबार साहिब जी में भक्त भाई अमर ग्रंथ साहिब की पाठ सेवा करते हैं और भक्तमतियों वाले दरबार साहिब जी में माताएं, बहनें पाठ सेवा करती हैं।

भंडार घर

आश्रम में एक भंडार घर है, जहां पर 24 घंटे भंडारे की एक साफ सुथरी बहुत अच्छी व्यवस्था है। कोई भी व्यक्ति किसी समय आओ और चाहे कितने आओ उनके लिए पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब की कृपा से भंडारा उपलब्ध रहता है। क्योंकि यह भंडारा पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी द्वारा चलाया जा रहा है, जोकि सतलोक अमरलोक से कराया जा रहा है। आश्रम से वापिस घर को जाने वाले भक्तजनों को रास्ते के लिए भंडारा भी दिया जाता है।

नामदान स्थल

आश्रम में एक नामदान स्थल अर्थात् नामदान केंद्र है। जो श्रद्धालु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के ज्ञान को समझ कर सतभक्ति करना चाहते हैं, वे सभी नियम व मर्यादा समझकर सतगुरुदेव जी से नाम दीक्षा प्राप्त करते हैं। नामदान स्थल में दो अलग अलग कमरे हैं। एक कमरे में सद्गुरुदेव जी से नाम दीक्षा लेने के इच्छुक श्रद्धालुओं को सेवादार सभी भक्ति नियम व मर्यादा समझाते हैं और दूसरे कमरें में सेवादार द्वारा सद्गुरुदेव जी से ऑनलाइन नाम दीक्षा दिलाई जाती है। जहां पवित्र ग्रंथों से प्रमाणित सतभक्ति एवं सभी देवी देवताओं की शास्त्र अनुकूल साधना करने की पद्धति बताई जाती है।

पार्किंग स्थल

आश्रम के ठीक बाहर एक पार्किंग की जगह है, जहां आश्रम में आने वाले भक्तजनों की गाड़ियों को पार्क करने के लिए व्यवस्था बनाई गई है ताकि किसी भी वाहन को किसी प्रकार की असुविधा ना हो।

मोबाइल चार्जिंग सुविधा

धुरी आश्रम में पास या दूर से आने वाले श्रद्धालुओं को मोबाइल से संबंधित कोई असुविधा न हो इसे ध्यान में रखते हुए आश्रम में मोबाइल चार्जिंग की सुविधा की गई है। यहां आने वाले भक्तजनों के मोबाइल चार्जिंग की 24 घंटे सुरक्षित व्यवस्था की गई है।

जनरेटर

कोई भी सेवा बिजली की वजह से न रुक सके, इसी के मद्देनजर आश्रम में सुचारू रूप से बिजली की उपलब्धता के लिए जनरेटर की व्यवस्था है। संत रामपाल जी महाराज के नेतृत्व में करवाए गए सभी अखंड पाठ को इसी सुविधा की वजह से संपूर्ण किया जाता है।

अनाउसमेंट केंद्र

भक्तजनों को सूचना देने के लिए एक अनाउसमेंट केंद्र की भी आश्रम में सुविधा है। जहां से कोई भी सूचना दी जा सकती है। किसी भक्त को यदि किसी से संपर्क करना है तो वह भी सूचना अनाउसमेंट केंद्र द्वारा दी जाती है।  

कैमरों से निगरानी

पुण्य आत्माओं की सुरक्षा की दृष्टि से आश्रम के पूरे परिसर में CCTV कैमरे लगाए गए हैं। कैमरों के द्वारा पूरे परिसर में चौबीसों घंटे निगरानी रखी जाती है।

पाठ प्रकाश के समय विशेष व्यवस्था

आश्रम में सतगुरुदेव जी के आदेश अनुसार समय समय पर तीन दिन का अमर ग्रंथ साहिब का अखण्ड पाठ किया जाता है। पाठ प्रकाश के समय संगत बहुत बड़ी संख्या में आती है इसलिये ऐसे विशेष उत्सवों के लिए माताओं बहनों और भाइयों के लिए अलग-अलग विशेष व्यवस्थाएं भी की जाती हैं।

आश्रम की छत पूरी तरह कवर्ड है

सतलोक आश्रम धुरी, आधा एकड़ में फैला एक छोटा आश्रम है जोकि ऊपर से पूरी तरह बंद है। सर्दी, गर्मी, बरसात, आंधी व तूफान के समय यह छत भक्तो की रक्षा के लिए काम आती है। छोटा आश्रम होने के बाद भी यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सुविधाओं के भरपूर इंतजाम किये गए हैं।

श्रद्धालुओं के एक साथ बैठकर सत्संग सुनने की क्षमता

सत्संग स्थल पंडाल में 1500 – 2000 श्रद्धालु जन एक साथ एक समय पर बैठकर सत्संग का श्रवण कर सकते हैं। सत्संग स्थल में भक्त भाइयों और माताओं, बहनों के बैठने की अलग-अलग व्यवस्था की जाती है।

सतलोक आश्रम धुरी का संचालक कौन है?

बड़े ही कमाल की बात है जिसे लोगों ने आम संत जानकर उसका एक आश्रम छीन लिया हो और मुस्कुरा कर उस संत ने अपना आश्रम भी दे दिया हो, आज उसके पास इस प्रकार के और कई आश्रम है, यह कोई चमत्कार से कम नहीं है। ऐसी महान सोच रखने वाले परम संत, सतगुरु, बाखबर, जगतगुरु कोई और नहीं तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ही हैं जिनका कहना है।

सत ना छोड़े सूरमा, सत छोड़े पत जा।

सत के बांदे लक्ष्मी, फेर मिलेगी आ।।

लोगों ने बहुत कुछ कहा किंतु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने सत्य कहना नहीं छोड़ा, यहीं कारण है कि आज उनके हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, दिल्ली राज्यों में लगभग 10 आश्रम मौजूद हैं और दिन प्रतिदिन उनके आश्रमों की संख्या बढ़ रही है और “पूर्ण परमेश्वर, आदि राम कबीर साहेब” की दया से इन सभी आश्रमों में लगातार भंडारे चलते रहते हैं। इन सभी आश्रमों में सभी प्रकार की सुख सुविधाएं मौजूद हैं।

सामाजिक कुरीतियों से दूर है सतलोक आश्रम धुरी

तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज की शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए सतलोक आश्रम धुरी में मनमानी परंपराऐं, मान-बड़ाई, लोक दिखावा आदि क्रियाएं जो भक्ति मार्ग में बाधक हैं, सभी वर्जित हैं। दहेज-प्रथा, नारी के प्रति असमानता और उपेक्षा पूर्ण भाव, बाल-विवाह प्रथा, अन्यायवादी वर्णव्यवस्था, मृत्यु भोज जैसी अनेकों सामाजिक अव्यवस्थाएं त्याज्य हैं। नशा समाज की बर्बादी का कारण है, आश्रम में सभी प्रकार के नशे जैसे तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट, खैनी, गुटखा, गांजा, चरस, अफीम, मदिरा (शराब) और नशीली दवाइयां इत्यादि पूर्णतः प्रतिबंधित हैं।

किसी भी समाज या देश के विकास में बाधा होती हैं सामाजिक कुरीतियाँ। जैसे – जातिवाद, सम्प्रदायवाद, क्षेत्रवाद, भाषावाद आदि कुरीतियाँ समाज और देश के लिए घातक हैं। संत रामपाल जी महाराज जी की प्रेरणा से इन सभी कुरीतियों को पूरी तरह से समाप्त करने की शिक्षाएं सतलोक आश्रम धुरी में दी जाती हैं। यही वजह है कि सतलोक आश्रम धुरी में सतगुरु संत रामपाल जी महाराज से दीक्षित भक्तों में जाति, धर्म, लिंग, भाषा, प्रांत के आधार पर कोई भेदभाव नहीं पाया जाता है। सभी एक साथ मिल जुलकर रहते हैं। 

संत जी के नेतृत्व में भारत बनेगा विश्वगुरु 

सतगुरु संत रामपाल जी महाराज द्वारा दिया जाने वाला सत आध्यात्मिक ज्ञान अद्वितीय है। संत रामपाल जी के नेतृत्व में सतज्ञान के आधार पर भारत से उठने वाली आध्यात्मिक ज्ञान की क्रांति पूरे विश्व में छा जाएगी। पूरे विश्व में सतज्ञान से एक भक्ति मार्ग चलेगा। नशे, पाखंडवाद, जातिवाद, सामाजिक कुरीतियों से मुक्ति मिलेगी, धर्म के नाम पर होने वाले झगड़े बंद होंगे सभी प्रेम पूर्वक रहेंगे। सतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी कहते हैं – 

जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।।

पूरी धरती पर एक ही कानून होगा, कोई दुःखी नहीं रहेगा, सभी सुखी होंगे, विश्व में पूर्ण शांति होगी। सतज्ञान का विरोध करने वाले लोग भी पश्चाताप कर तत्वज्ञान को स्वीकार करेंगे और समाज मानव धर्म का पालन करेगा। कलयुग में सतयुग जैसा माहौल होगा। सतगुरुदेव जी से नाम दीक्षा लेकर मर्यादा का पालन करते हुए सतभक्ति करके सभी मनुष्य पूर्ण मोक्ष प्राप्त करेंगे अर्थात् जन्म मृत्यु के दुःख से सदा के लिए मुक्ति पायेंगे। अपने मूल घर सतलोक (अमरलोक) जाकर सुखमय जीवन व्यतीत करेंगे, जहाँ पर कोई दुःख नहीं है। जिसे संत गरीब दास जी ने सुख सागर कहा है।

शंखों लहर मेहर की उपजैं, कहर नहीं जहाँ कोई।

दास गरीब अचल अविनाशी, सुख का सागर सोई।।

सतज्ञान सुनने पहुंचे सतलोक आश्रम धुरी

विश्व के सभी भाई बहन एक प्रभु की संतान हैं। सतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी धर्म शास्त्रों से प्रमाणित करते हुए सत्संगों में बताते हैं कि सबका मालिक एक कबीर प्रभु है, जिसे वेदों में कविर्देव (कवि: देव), कुरान में कबीरन् कहा गया है। और इसी परमेश्वर को सत कबीर, हक्का कबीर, अल्लाह कबीर, अल्लाहु अकबर, बन्दीछोड़ कबीर, कबीर साहेब आदि नामों से भी जाना जाता है।

कविः नाम जो बेदन में गावा, 

कबीरन् कुरान कह समझावा।

वाही नाम है सबन का सारा, 

आदि नाम वाही कबीर हमारा।।

कलियुग में सतभक्ति का समय प्रारंभ हो चुका है, अब आवश्यकता है सतलोक आश्रम धुरी में आकर तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के अनमोल सत्संग सुनकर सत्यज्ञान जानने की और एक पूर्ण परमात्मा को पहचानने की। विश्व भर के करोड़ों पुण्य आत्माए सतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेकर परमेश्वर कबीर जी की सतभक्ति कर रहे हैं और संत जी के सानिध्य में सर्वविकार त्यागकर निर्मल जीवन जी रहे हैं। आप भी शीघ्र अतिशीघ्र सतलोक आश्रम आयें और तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के अद्भुत अद्वितीय ज्ञान को जानकर सतगुरु रामपाल जी महाराज जी ने नाम दीक्षा लेकर अपने परिवार सहित अपना कल्याण करवायें। तत्वज्ञान को जानने के लिए आप जी संत रामपाल जी महाराज द्वारा सर्व ग्रंथों से प्रमाणित पवित्र पुस्तक “ज्ञान गंगा” व “जीने की राह” पढें और तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के अनमोल सत्संग सुनें “साधना टीवी चैनल पर रात्रि 7:30 – 8:30 PM” तथा अधिक जानकारी के आप प्ले स्टोर से “Sant Rampal Ji Maharaj” एप्प डाऊनलोड करें।